
संगठन एवं सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्तित्व से अपेक्षाएँ
- सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में समर्पित कार्यकर्ता का अपना स्वयं का कोई वैयत्तिक जीवन नहीं होता है| ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व पारदर्शी होना चाहिये|
- सामाजिक सेवा के क्षेत्र में नेतृत्व देने वाले को स्वयं एवं समाज संगठन के प्रति निष्ठावान एवं ईमानदार होना चाहिये|
- कार्यकर्ताओं का मूल्यांकन उनकी समर्पित सेवाओं के आधार पर हो| मंच, माला, माईक, शाॅल, श्रीफल इत्यादि से झूठा सम्मान देकर आधारहीन फरेबी नेताओं से सामाजिक संगठनों को बोझिल नहीं बनावें|
- प्रत्येक संगठन ध्येयनिष्ठ बनें| अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसी क्षेत्र में विशिष्ठता द्वारा पहचान विकसित करें| संगठन अपनी सेवा से पहचान बनायें|
- कार्यरत विभिन्न संगठनों की प्रबंध-व्यवस्था कार्यकारिणी एक निर्धारित कार्यकाल की हो| स्वयं भू-नेता एवं संगठन समाज के लिये घातक होते हैं| संगठन में पदों का दायित्व जिम्मेदार एवं समर्पित सेवाभावी व्यक्तियों को दिया जाये| चुनावी स्टंटों से फ़िलहाल परहेज किया जाये, जो कार्यकर्ता पहलभाव से दायित्व लेने के लिये तैयार हों तो नि:संकोच भाव से उनकी सेवायें ली जाये|
- समाज के उत्पाती एवं उदण्ड तत्वों के प्रति निगरानी रखी जाये तथा निर्भिकता से ऐसे असामाजिक तत्वों से दुरी रखी जाये|
- सदाचारी एवं शुध्द सात्विक जीवन पध्दति सामाजिक कार्यकर्ता के लिये प्रथम आवश्यक है| सेवार्थी को हमेशा झुककर चलना होता है, अत: अहम भाव का त्याग एवं विनम्रता का अभ्यास होना आवश्यक है|
- परस्पर आलोचनाओं से बचकर चलो, जो जिसने जितना कदम मिलाकर साथ दिया है, उसके प्रति आभार व्यक्त करो|
- आग्रहपूर्वक उदबोधन के लिये विषय, मंच एवं समय का अनुरोध हो तो ही विषय वस्तु पर सारगर्भित उदबोधन देना चाहिये| सम्बंधित विषय वस्तु पर अधिकारपूर्वक ज्ञान नहीं है तो उदबोधन न देना ही अच्छा है|
- सामाजिक कार्यकर्ता मितभाषी, धैर्यवान तथा आज्ञापलक होना चाहिये| वैयक्तिक तार्किकता/कुतार्किकता से संगठन के स्वरूप को नष्ट नहीं करें|
- कार्यकर्ता को शान्तचित से कार्य करना चाहिये, जो जिसमें जैसी योग्यता हो, वों वैसी ही उससे सेवा का लाभ लिया जाये|
- संगठन अपने संभावित सेवा प्रकल्पों पर सदैव चिन्तन करें, योजनाबध्द ढंग से क्रियान्वयन करें, समुचित अभिलेख रखें तथा सतत मूल्यांकन हो|
- कार्यकर्ता का सोच सदैव सकारात्मक हो तथा रचनात्मक-सर्जनात्मक दृष्टीभाव का स्वभाव हो|
- कार्यकर्ता के लिए संगठन हित सर्वोपरि हो| किसी भी विषय को अपनी वैयक्तिक प्रतिष्ठा के साथ नहीं जोड़े|
- संगठन एवं कार्यकर्ताओं को भावी चुनौतियों के प्रति सदैव जागरूक रहकर तैयारी करनी चाहिये|
- कार्यकर्ता को स्पष्ट एवं सत्य बोलने का अभ्यास होना चाहिये|
- संगठनात्मक गतिविधियों की सामान्य जन तक जानकारी के लिये उपलब्ध सूचनातंत्र समुचित उपयोग करना चाहिये|