श्रध्देय सैनाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी अचलानन्दजी महाराज
जोधपुर (राजस्थान) की तहसील ओंसिया के ग्राम खिन्दाकोर में जन्मे स्वामी अचलानन्दजी महाराज की शिक्षा दीक्षा किसी औपचारिक विद्यालय से नहीं अपितु ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित है| लोकदेवता रामसापीर के प्रति अगाध श्रद्धा एवं अर्पण-समर्पण ही आपकी प्रधान साधना रही| रामसापीर की असीम कृपा ने ही आपको चमत्कारी व्यक्तित्व प्रदान किया| वर्षों तक बेखबर रहते हुए फखड़ाना अन्दाज में देश-दुनिया सन्यासी के रूप में तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते करते रामसापीर की कृपा से आप जोधपुर पधार कर “बाबा रामदेव-नेतलदारानी” युगल जोड़ी की मूर्ति स्थापित कर भव्य रामसापीर का धाम राईका बाग पैलेस के पास स्थापित किया तथा सैनाचार्यजी का स्थाई आवास-प्रवास इसी स्थान पर रहता है|
ईश्वरीय आदेश ऐसा हुआ है कि सात सौ वर्षों से बिना धणी-धोरी की सैनजी महाराज की पीठ पर प्रथम आचार्य के रूप में सिंहस्थ महाकुंभ-उज्जैन वर्ष 1992 के अवसर पर श्रद्धेय रामानन्दाचार्य पीठ की कृपा से स्वामी अचलानन्दजी महाराज को विधि-विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ सैनाचार्य पद पर अभिजीत किया गया| 15 अप्रैल 1992 को यह तिथि इस राष्ट्र के सैन समाज हेतु एक ऐतिहासिक दिवस अंकित हो गया| सैनाचार्य पदाभिषेक समारोह के अवसर पर श्रद्धेय आचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि यह सब भगवान श्री राम की कृपा एवं आदेश का प्रतिफल है| सैनजी महाराज की जगत जागृत पीठ सैनाचार्य जी के मार्गदर्शन में आज सम्पूर्ण आचार्य पीठों में अखिल भारतीय सैन भक्ति पीठ का स्थान एक जगमगाता सा नाम है| सैनाचार्य स्वामी अचलानन्दजी महाराज मूलतः एक वचन सिद्ध महापुरूष है| इनके द्वारा उद्घोषित आशीर्वाद की परिपूर्णता का दायित्व एवं स्वयं परमात्मा अपने ऊपर ले लेता है| इनके चरणों में सदा समर्पित रहने वाले श्रद्धालुओं में अगाध श्रद्धा है ही, साथ ही प्रथम बार संपर्क में आने वाले श्रद्धालु भी अचरज भरे अंदाज में दर्शन करता हुआ आत्मविभोर हो जाता है| सैनाचार्य ने देश भर में नशामुक्ति का अलख जगा रखा है| खुले हाथों से जरूरतमन्द को मदद तथा सन्त सेवा इनका स्वभाव सा है| 1992 से लगातार सैनाचार्य के मार्गदर्शन में हर महाकुंभ महापर्व के अवसर पर सन्त सेवा क्षेत्र शिविर भव्यता से संचालित होता आया है| जाति पाति एवं धर्म संप्रदाय का मतभेद सैनाचार्य जी के विचार चिंतन में दूर-दूर तक नहीं है| मानव सेवा ही इनका परम अध्यात्म दर्शन है| सैनजी महाराज के साहित्य को पूरे देश में प्रचारित करवाना आपकी नियमित दिनचर्या है| सैनाचार्य के मार्गदर्शन में सर्व धर्म सम्मेलन, आचार्य सम्मेलन, सर्व-धर्म प्रार्थनायें, स्वास्थ्य शिविर, सन्त भण्डारा, संस्कार शिविर आदि वर्ष पर्यन्त चलते रहते हैं| सम्पूर्ण सैन समाज सहित सर्व समाज पर सदैव आशीर्वाद बना रहता है| आपके चरणो में शत्-शत् नमन|
साभार प्रस्तुति – वैध्य केशरमल परिहार, सांगलिया
सैन दृष्टी (मासिक) अंक-1, वर्ष-1, मार्च 2016, पृष्ठ 5