सैनाचार्य स्वामी अचलानन्दजी महाराज - एक विलक्षण सन्त
आज संपूर्ण भारत राष्ट्र की हर दिशा में स्थित ग्राम, कस्बा, नगर तथा महानगर में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां सैन समाज का परिवार आवासित न हो| सैन समाज वह कौम है जो सर्व समाज के साथ देश-दुनिया में हर जगह स्वाभिमान के साथ पहचान सकती आयी है| ऐसी विशाल एवं प्राचीन सैन जाति को अपना कुछ खास तरह का गौरवमयी इतिहास रहा है| अपनी नेक-नीयत, चारित्रिकता, वफादारी तथा कर्तव्यपरायणता की विशिष्टता के लिए सैन समाज की गुरुपीठ अखिल भारतीय सैन भक्ति पीठ के वर्तमानाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी अचलानन्द जी महाराज सचमुच इस भूधरा पर एक विलक्षण संत है| हम लौकिक जीवन बसर करने वालों की दिनचर्या केवल भौतिकवादी सुखों की सीमा तक ही दृष्टि प्राप्त कर पाती है, लेकिन आचार्य श्री के सान्निध्य वर्षों से प्राप्त इनकी कृपा दृष्टि से बिना किसी संदेह के इनकी आध्यात्मिकता, पारलौकिक, शक्ति-उपासना तथा रामसापीर की आचार्य पर भरपूर आशीर्वाद के बल पर इनके सन्तत्व की विलक्षणता सहज ही आमजनों को अहसास करवाती है| 15 अप्रैल, 1992 को आचार्यत्व पद धारित के साथ आज 25 वर्षों की इनकी अथक यात्रा हर तरह अचंभित करने वाली है| लौकिक एवं एवं औपचारिक शिक्षा न होने के बाद भी अपने ईश्वरीय ज्ञान ध्यान से समृद्ध एवं संपन्न है| उनका संपूर्ण जीवन लोग कल्याण को समर्पित है| सैनाचार्य श्री का सन्यास कर्मनिवृति में विश्वास नहीं करता है अपितु कर्मस्वीकृति में आस्था रखने वाला है| प्राणी मात्र के प्रति है सन्यासी दयावान है| विशाल महाकुंभ पर्वों के अवसर पर विशाल स्तर पर सन्त सेवा ,अन्नक्षेत्र शिविर तो आमजन के लिए अकल्पनीय हैं| हजारों-हजार श्रद्धालुओं, तीर्थ यात्रियों एवं सन्त महात्माओं के लिए भोजन-प्रसाद एवं आवास की नि:शुल्क व्यवस्था संपूर्ण कुंभ पर्व अवधि में सैनाचार्य जी की कृपा एवं सानिध्य में सर्व समाज हेतु उपलब्ध होती रही है| गुरुपीठ मुख्यालय जोधपुर में वर्ष पर्यंत साधु महात्माओं एवं श्रद्धालुओं के लिए भंडारा अनवरत संचालित रहता है| सैनाचार्य जी शत प्रतिशत आध्यकुलगुरु सैन जी महाराज के सन्तत्व दर्शन जाति-पांति पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि को होई की तर्ज पर प्रवाहित है| जाति-धर्म-संप्रदाय के नाम पर किसी भी तरह का मनभेद-मतभेद सैनाचार्य की जीवनशैली में दूर-दूर नजर नहीं आता है| सबको अपनापन, सबको स्नेह तथा सबके प्रति शुभभाव रखना सैनाचार्य जी का सहज स्वभाव है| जरूरतमंद की सहायता के लिए सैनाचार्य जी सदैव अपना हाथ खुला रखते हैं| सैनाचार्य जी रामसापीर लोक देवता की अनन्य उपासक है| रामसापीर की कृपा से सैनाचार्य जी को दैवीय शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त है| लौकिक कष्टों को क्षणों में हवन की भभूत एवं सौम्य दृष्टि से तत्काल राहत दिलवाते हैं| यह कोई करिश्मा या तंत्र-मंत्र का खेल नहीं है| आमजन की उपस्थिति में सर्व समाज के हजारों श्रद्धालु इनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए आश्रम में शरणागत रहते हैं| गरीब बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के लिए पुस्तकें, फीस तथा पौशाक इत्यादि सत्र पर्यन्त वितरित करते रहते हैं| अनेकानेक नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित करवाते हैं| सत्संग-भजन-कीर्तन सैनाचार्य जी की साधना-पूजा अर्चना में शामिल है| हजारों-हजार भक्तों के नाम-परिवार को अपनेपन के साथ बतलाते हैं| स्मरण शक्ति ऐसी कि एक बार परिचय के बाद उसकी सहज पहचान इनके बौद्धिक पटल पर सदैव के लिए अंकित हो जाती है| रामानन्दपीठ के आचार्य स्वामी श्री रामनरेशाचार्य जी की आप पर सदैव से विशेष कृपा रहती आयी है| संपूर्ण सन्त समाज में अपनी विशेष पहचान है| नारी प्रतिष्ठा, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, गौ सेवा, बालिका शिक्षा तथा सन्त सेवा आपके द्वारा संचालित सहज प्रकल्प है| ऐसे विलक्षण सन्त की कृपा दृष्टि से बहुत-बहुत गौरवान्वित हैं|
सागर प्रस्तुति – डॉ. जितेंद्र वर्मा, अड़कसर
सैन दृष्टि
अंक 6, वर्ष-1, मई-जून 2017, पृष्ठ 20